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पीएम मोदी ने 100 से अधिक प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों से हुए रुबरू, कहा-वर्तमान व भविष्य की जरूरतें को पूरा करने का मॉडल करें विकसित

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पीएम मोदी ने 100 से अधिक प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों से हुए रुबरू

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय वित्त पोषित प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के साथ बातचीत की। इस बातचीत में प्रधानमंत्री के साथ 100 से अधिक संस्थानों के प्रमुख शामिल हुए। इस बातचीत के दौरान केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और राज्य मंत्री सुभाष सरकार सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कोविड से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने की दिशा में इन संस्थानों के अनुसंधान व विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने त्वरित प्रौद्योगिकीय समाधान प्रदान करने की दिशा में युवा नवप्रवर्तकों के प्रयासों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते पर्यावरण और उभरती चुनौतियों के साथ सामंजस्य बनाने के लिए उच्च शिक्षा व प्रौद्योगिकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए संस्थानों को खुद की पुर्नरचना व पुनर्मूल्यांकन करने और देश व समाज की मौजूदा व भविष्य की जरूरतों के अनुरूप वैकल्पिक व अभिनव मॉडल विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे उच्च शैक्षणिक और प्रौद्योगिकी संस्थानों को चौथी औद्योगिक क्रांति को ध्यान में रखते हुए, हमारे युवाओं को निरंतर व्यवधानों व परिवर्तनों के लिए तैयार करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने शिक्षा के ऐसे शिक्षा मॉडल की ओर बढऩे की जरूरत को रेखांकित किया जो लचीले, समेकित और विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षण के अवसर प्रदान करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि पहुंच, सामथ्र्य, समानता और गुणवत्ता ऐसे शिक्षा मॉडल के मूल मूल्य होने चाहिए।

सकल नामांकन में आया सुधार
प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा का डिजिटलीकरण जीईआर को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है और इससे छात्रों को अच्छी गुणवत्ता व सस्ती शिक्षा तक आसान पहुंच होगी। प्रधानमंत्री ने डिजिटलीकरण को बढ़ाने के लिए संस्थानों की विभिन्न पहलों जैसे कि ऑनलाइन स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रमों की भी सराहना की।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमें भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकीय शिक्षा का एक वातावरण विकसित करने व वैश्विक पत्रिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर पर दिया जोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ आने वाले 25 वर्षों में, जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाएंगे, भारत के सपनों व आकांक्षाओं का आधार बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दशक में प्रौद्योगिकीय, अनुसंधान व विकास संस्थान एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे, जिसे “इंडियाज टेकेड” भी कहा जा रहा है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने नई शिक्षा नीति को भारत का भविष्य
केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत को 34 वर्षों की अवधि के बाद एक नई शिक्षा नीति मिली है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सामने लाने के साथ, भारतीय शिक्षा प्रणाली ने भविष्य के लिए तैयार 21वीं सदी के भारत को लेकर एक वातावरण को बढ़ावा देने में एक बड़ी छलांग लगाई है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार भारत को एकसमान ज्ञान वाले समाज की ओर बढ़ाने में छात्रों और युवाओं को प्राथमिक हितधारक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) नवप्रवर्तकों, अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों से प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मंत्री ने यह विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन व हमारे अकादमिक संस्थानों के सहयोग से, सरकार शिक्षा को रोजगार के साथ एकीकृत करने व इसे अधिक समावेशी, समग्र, बहु-विषयक और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए नए मानक स्थापित करना जारी रखेगी।

इन प्रोफेसरों ने दी प्रस्तुतियां
इस बातचीत के दौरान, आईआईएससी बेंगलूरु के प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन, आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर सुभाशिष चौधरी, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अभय करंदीकर ने प्रधानमंत्री के सामने प्रस्तुतियां दीं और विभिन्न चालू परियोजनाओं, अकादमिक कार्यों और देश में हो रहे नए अनुसंधान को रेखांकित किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री को कोविड से संबंधित अनुसंधान के बारे में भी अवगत कराया गया।

इनमें परीक्षण के लिए नई तकनीक विकसित करना, कोविड टीका विकास के प्रयास, स्वदेशी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन जनरेटर, कैंसर सेल थेरेपी, मॉड्यूलर अस्पताल, हॉटस्पॉट अनुमान, वेंटिलेटरों का उत्पादन और रोबोटिक्स, ड्रोन, ऑनलाइन शिक्षा व बैटरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयास शामिल हैं। वहीं प्रधानमंत्री को नए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों, विशेष रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के बारे में भी बताया गया, जिन्हें अर्थव्यवस्था और तकनीक की बदलती प्रकृति के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।

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