- आर्टिफिशियल इंटिलिजेस के उपयोग से सभी जानकारियां साइबर ठगों को मौका प्रदान करती हैं।
बिलासपुर , 29 दिसम्बर, campussamachar.com, साइबर ठगी ( Cyber Crime) की बढ़ती घटनाओं से हर कोई परेशान हैं। अब तो गृह मंत्रालय द्वारा प्रत्येक टेलीफोन कॉल पर भी सुरक्षित रहने का संदेश दिया जाता हैं। मानव स्वभाव अपने कार्यकलापों, कर्तव्यों पर मनन करने के बजाय बैंक, मीडिया, प्रशासन पर आरोप लगाना आसान समझता हैं। लेकिन क्या आपने कभी चिंतन किया है कि बढ़ती हुई साइबर ठगी का मुख्य कारण क्या हैं। हमारी गोपनीयता कहाँ से लीक हो रही हैं।
Cyber Crime: आप केवल एक बार पर्यटन, स्कूल-कालेज, किराए पर मकान, रेंटल कार या कार या मकान खरीदने अथवा अधिक लाभ पाने हेतु शेयर बाजार में निवेश का विचार करते ही उससे सम्बंधित जानकारियां हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में अपने आप आने लगती हैं। स्टेट्स, रील, सोशल मीडिया पर लाईव रहने के शौक ने निजता का हनन कर लिया है। आर्टिफिशियल इंटिलिजेस के उपयोग से सभी जानकारियां साइबर ठगों को मौका प्रदान करती हैं।
डिजिटल लेनदेनों के बढ़ने से इसमे दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं। वर्तमान में ठगी के निम्न प्रकार दृष्टिगत होते हैं।
1 बैंक व अन्य सरकारी विभागों के बड़े अधिकारियों को I4C के फर्जी नाम ईमेल से मेल कर किसी काल्पनिक त्रुटि के परिणाम हेतु तैयार रहने हेतु डराना या मामला रफादफा करने के नाम पर बड़ी राशि की मांग करना।
2 किसी भी अनजान नम्बर से फोन या ईमेल आने पर पूरी सावधानी से पुष्टि के बाद ही लेवें। किसी भी परिस्थिति में apk फाइल अपलोड ना करें। ना ही ओटीपी शेयर करें।
3 परिजनों के एक्सीडेंट या बीमारियों की सूचना देकर मदद के नाम पर राशि की मांग करना।
4 आपके द्वारा भेजे अथवा मंगाए गए कोरियर या सामग्री में कस्टम द्वारा अनैतिक सामग्री होंने का डर दिखाकर जब्त करने के साथ कार्यवाही करने के एवज में राशि मांगना।
5 नम्बर हैक कर या फर्जी सोशल मीडिया आई डी बनाकर मित्रों से राशि या मदद मांगना।
कभी भी प्रेशर में ना आये। आप अपने बच्चों व स्वयं को बेहतर जानते हैं। जब कोई गलत कार्य करते ही नहीं तो कोई क्यों अरेस्ट करेगा। कभी भी कोई पुलिस या न्यायालय समझौते के लिए फोन नहीं करता। सबसे पहले सम्बंधित पक्ष से फोन कर पुष्टि कर लेवें। जब भी विपरीत परिस्थिति आये तीन बार लम्बी गहरी सांस ले व मन ही मन संकल्प करें कि मैं कोई भी गलत निर्णय नही करूंगा। फिर भी कभी गलती हो ही जाए तो तत्काल 1930 पर फोन व साइबर पुलिस को शिकायत दर्ज कराए। सावधानी ही सुरक्षा हैं।