- इस अनुदान के माध्यम से विश्वविद्यालय में नवीनतम वैज्ञानिक शोध एवं अनुसंधान हेतु आवश्यक उपकरण, सुविधाओं के विकास एवं विस्तार तथा वैश्विक स्तर पर हो रहे शोध का अध्ययन किया जाएगा।
बिलासपुर , 5 नवम्बर,campussamachar.com, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) नैक द्वारा ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से 8.57 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस प्रोग्राम 2024 (पर्स कार्यक्रम 2024) के अंतर्गत डिजाइन, डेवेलपमेंट एंड वैलिडेशन ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसन्स यूज्ड बाय बैगास ऑफ छत्तीसगढ़ फॉर दि इफेक्टिव मैनेजमेंट ऑफ एससीडी इन सेंट्रल इंडिया विषय पर अनुदान प्रदान किया है।
उल्लेखनीय है कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) देश के उन 9 चुनिंदा संस्थानों में एक है जिन्हें यह पर्स प्रोग्राम स्वीकृत हुआ है। कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि पर्स 2024 कार्यक्रम में अनुदान स्वीकृति से विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) में शोध, अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में नई ऊर्जा प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) सिकलसेल एनीमिया जैसी गंभीर समस्या के उन्मूलन के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे जनजातीय समुदाय एवं बैगा समुदाय के द्वारा सिकलसेल एनीमिया के इलाज हेतु किये जाने वाले परंपरागत तरीकों को सत्यापित कर ज्यादा वैज्ञानिक विस्तृत रूप में प्रसारित किया जाएगा।
Guru Ghasidas University news : कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ( Professor Alok Kumar Chakrawal Vice Chancellor of Guru Ghasidas Vishwavidyalaya -Central University) ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) की समस्त योजनाएं छत्तीसगढ़ राज्य को प्रथम रखते हुए निर्मित की जा रही हैं। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को जमा की गई परियोजना में भी बैगा समुदाय द्वारा सिकलसेल के इलाज में प्रयुक्त विधियों को संजोने, संरक्षित एवं प्रबंधित करने पर बल दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) समूचे राष्ट्र में पारंपरिक औषधीय ज्ञान के संरक्षण में अपना स्थान बनाएगा।
Guru Ghasidas University : छत्तीसगढ़ में सिकलसेल एनीमिया की समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पर्स कार्यक्रम के अंतर्गत प्रपोजल जमा किया गया था। खासबात यह है कि भारत सरकार ने 2047 तक सिकलसेल एनीमिया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की यह परियोजना छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के साथ जुड़कर सिकलसेल एनीमिया की समस्या को दूर करने में कार्य करेगी।
सिकलसेल एनीमिया की बीमारी से भारत ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों के जनजातीय समूह प्रभावित हैं। ऐसे में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय द्वारा भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में परियोजना के माध्यम से की गई पहल न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देश व दुनिया के प्रभावित जनजातीय समूहों के लिए वरदान साबित होगा।
उपकरणों हेतु मिला अनुदान
ggu news : इस अनुदान के माध्यम से विश्वविद्यालय ( guru ghasidas vishwavidyalaya Bilaspur chhattisgarh ) में नवीनतम वैज्ञानिक शोध एवं अनुसंधान हेतु आवश्यक उपकरण, सुविधाओं के विकास एवं विस्तार तथा वैश्विक स्तर पर हो रहे शोध का अध्ययन किया जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत चार सौ मेगाहर्ट्ज का न्यूक्लियर मैगनेटिक रिसोनेंस (एनएमआर), डीएनए सीक्वेंसर, एफटीआईआर, एचपीएलसी, एक्सीलरेटेड साल्वेंट एक्सट्रेक्टर आदि उपकरण क्रय किये जा सकेंगे। इस परियोजना के कोऑर्डिनेटर प्रो. संतोष कुमार प्रजापति, वनस्पति विज्ञान विभाग, को-कोआर्डिनेटर प्रो. एलवीकेएस भास्कर, प्राणी शास्त्र विभाग एवं डॉ. जय सिंह, शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त भौतिकी विभाग हैं। प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस प्रोग्राम 2024 (पर्स कार्यक्रम 2024) की समयावधि चार वर्ष है।