- शिक्षा अधिकारीयों की स्वेच्छा चरिता से लगातार गिर रही योगी सरकार की साख : पांडेय गुट
लखनऊ, 17 अक्तूबर, campussamachar.com, उ प्र माध्यमिक शिक्षक संघ ( पांडेय गुट ) ने लगातार शिक्षा अधिकारियों की मनमानी एवं स्वेच्छाचारिता के चलते हो रहे शिक्षक उत्पीड़न पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। इसकी वजह से दिनों दिन शिक्षको के बीच सरकार की छवि धूमिल हो रही है। संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath ) का व्यक्तिगत ध्यान आकर्षित करते हुए उनसे हस्तक्षेप करने की माँग की है।
UP school News : शिक्षक नेता श्री त्रिपाठी ने कहा कि अधिकारियों द्वारा सही तथ्यों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत न करके गुमराह करने का कार्य किया जाता रहा है। इस कारण सरकार को न्यायालय में बार बार मुह की खानी पड़ रही है। इसके चलते सरकार की छवि धूमिल हो रही हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि तदर्थ शिक्षक जो 25—28 वर्षों से सेवा करने के बाद भी अपनी सेवा की सलामती के लिए मोहताज हो, यह स्थिति किसी भी लोकप्रिय सरकारों के लिए अच्छी बात नहीं होती है। इससे समाज में सरकार के प्रति अच्छा संदेश नही जाता है। राष्ट्र निर्माता के रूप में जाना जाने वाला शिक्षक देश की भावी पीढी का निर्माण करता है। जब वह स्वयं अपने भविष्य को लेकर ही परेशांन रहेगा तो वह पूर्ण मनोयोग से राष्ट्र निर्माण कैसे कर सकेगा यह एक यक्ष प्रश्न है।
lucknow Teachers News : शिक्षक नेता श्री त्रिपाठी ने कहा कि बात बात में अपनी जायज समस्याओं का समाधान पाने के लिए यदि न्यायालय की ही शरण में जाना पड़े तो यह विभाग के लिए भी उचित प्रतीत नही होता है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही मे जारी न्यायालय के सभी आदेश चाहे वह विनिमितीकरण का हो , चाहे वह एक वेतन वृद्धि देकर वर्ष 2006 से पेंशन पुनरीक्षण का हो इसके अलावा अनेक मामले ऐसे है जिनपर कोर्ट ने आदेश जारी कर राहत दी है। उन्होंने इन अति संवेदन शील मामलो की ओर मुख्यमंत्री जी ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath ) का व्यक्ति गत ध्यान आकर्षित किया है और उनसे हस्तक्षेप कर इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई करने की माँग की है।
UP News : त्रिपाठी ने कहा कि जब तक विभाग के स्तर पर होने वाले प्रकरणों पर न्यायालय की शरण में पहुँचाने वाले अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी नही तय होगी तब तक उनकी मनमानी एवं स्वेच्छाचारिता पर प्रभावी अंकुश लगा पाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन भी है। श्री त्रिपाठी ने विभाग के शीर्ष पदों पर पदारूढ़ अधिकारियों का भी ध्यान आकर्षित करते हुए समय रहते शिक्षको को विभागीय स्तरों पर ही न्याय दिलाने की मांग की है। जिससे विभाग एवं शासन दोनों का अनावश्यक समय न्यायोचित शिक्षक समस्याओं के समाधान के लिए न्यायालयों में जाया न हो सके और विभागीय स्तर ही शिक्षक को न्याय मिल सके.
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