- यदि संबंधित विभागों द्वारा शोध अध्यादेश 2023 के अनुपालन में महाविद्यालय के शिक्षकों को नियमानुसार शोध पर्यवेक्षक नहीं बनाया गया तो विभागाध्यक्षों के ख़िलाफ़ आंदोलन किया जाएगा.
लखनऊ , 8 अक्तूबर ,campussamachar.com, लखनऊ विश्वविद्यालय के कई विभागों द्वारा अर्ह शिक्षकों को शोध पर्यवेक्षक न बनाए जाने से लुआक्टा के अध्यक्ष डाक्टर मनोज पाण्डेय और महामंत्री प्रोफेसर अंशु केडिया काफी नाराज है . इन दोनों पदाधिकारियों ने लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर आलोक कुमार राय ( Prof. Alok Kumar Rai Vice-Chancellor University of Lucknow, ) को एक पत्र लिखा है . इस पत्र में लुआक्टा की बैठक और इसमें हुई चर्चा व निर्णयों की जानकारी साझा करते हुए कहा है कि अब तक मांग पूरी न होने से शिक्षकों में खासी नाराजगी है .
कुलपति ( Prof. Alok Kumar Rai Vice-Chancellor University of Lucknow, ) को संबोधित पत्र में कहा गया है आपको अवगत कराना है कि लुआक्टा कार्यकारिणी की दिनांक 29 सितंबर 2024 को शिया महाविद्यालय में बैठक आहूत हुई थी. कार्यकारिणी द्वारा अवगत कराया गया कि गणित,समाजशास्त्र, जंतु विज्ञान एवं अन्य कुछ विभागों द्वारा शोध अध्यादेश 2023 में उल्लिखित अहर्ता के विपरीत अपने स्तर पर महाविद्यालय के शिक्षकों को शोध पर्यवेक्षक बनाए जाने के सम्बंध में नियमों की मनमानी व्याख्या की जा रही है एवं उन्हें शोध पर्यवेक्षक बनने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है .
कार्यकारिणी द्वारा विभागाध्यक्षों के प्रति निर्णय लिया गया कि यदि संबंधित विभागों द्वारा शोध अध्यादेश 2023 के अनुपालन में महाविद्यालय के शिक्षकों को नियमानुसार शोध पर्यवेक्षक नहीं बनाया गया तो विभागाध्यक्षों के ख़िलाफ़ आंदोलन किया जाएगा. इसलिए कुलपति ( Prof. Alok Kumar Rai Vice-Chancellor University of Lucknow, ) से आग्रह है कि उपरोक्त विभागों के विभागाध्यक्षों को अध्यादेश के नियमों के अनुरूप शोध पर्यवेक्षक नियुक्त करने के लिए निर्देश प्रदान करें .