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मूर्तिकला के पर्याय हैं प्रोफेसर लाल जीत अहीर – सेवानिवृत्त हो गए फिर भी कर रहे हैं मूर्तिकला की साधना, बना रहे हैं मूर्तियां

  • प्रोफेसर लाल जीत अहीर  बताते हैं कि उनका जीवन पूरी तरीके से कला को  समर्पित है और इसके लिए भी जीवन भर कार्य करते रहेंगे।

लखनऊ , 7 अक्टूबर,campussamachar.com,   लखनऊ विश्वविद्यालय  ( ucknow university)  के ललित कला संकाय (College of Arts and Crafts Lucknow University, ) में 30 साल की लंबी सेवा के बाद प्रोफेसर लाल जीत अहीर 30 जून 2024 को सेवानिवृत्ति भले हो गए हों लेकिन वे आज भी उसी लगन और धुन के साथ अपना मूर्ति कला प्रेम बनाए हुए हैं, जैसे कालेज में अध्यापन के समय पढ़ाने और मूर्तियां बनाने में लगे रहते थे। उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद कैलाशपुरी, मल्हौर निकट ( गोमती नगर ) में अपने आवास के ही एक हिस्से को मूर्ति कला के नाम समर्पित कर दिया है । वे अपने आवास पर ही विभिन्न महापुरुषों की मूर्तियों और मूर्तिकला से जुड़ी सामग्री में ही अपना पूरा दिन बिताते हैं ।

इस समय वे मां – पुत्री की एक ऐसी मूर्ति बना रहे हैं जो अद्भुत है और मां बेटी के रिश्ते को और मजबूती प्रदान करती हुई नारी सशक्तिकरण में अपनी भूमिका को प्रतिबद्धता के साथ प्रदर्शित करती है । प्रोफेसर लाल जीत अहीर  बताते हैं कि भीषण गर्मी में भी घर में लगे पेड़ों की छांव में मूर्तियों को जीवंत रूप देने में व्यस्त रहते हैं । ऐसे में उन्हें कई बार स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी होती हैं , लेकिन वह इन्हें नजरअंदाज कर मूर्ति बनाने में ही तल्लीन रहते हैं उनकी दिनचर्या सूरज उगने से पहले ही शुरू हो जाती है।

प्रोफेसर लाल जीत अहीर अपने को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन 7-8 किलोमीटर पैदल सुबह की सैर करते हैं, ताकि दिनभर उन्हें कार्य करने के लिए ऊर्जा मिलती रहे। उनका इरादा मूर्ति कला जगत को और अधिक विकसित और समय के अनुरूप आगे बढ़ाने के लिए कार्य करना तो है ही, बल्कि भावी पीढ़ी को भी मूर्ति कला के प्रति समर्पित और वर्तमान परिवेश में उन्हें ढालने की कोशिश भी है। उन्होंने बताया कि उनका पूरा जीवन मूर्ति कला को ही समर्पित रहा है और उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित हैं । उनके द्वारा बनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में भी स्थापित है, जहां लाखों विद्यार्थी गांधी जी को नमन करते हुए प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

अध्यापन क्षेत्र की विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए भी हुए प्रोफेसर लाल जीत अहीर अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहे हैं । वे बताते हैं उन्हें इस बात का दुख है कि इतने समर्पण के साथ काम करने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ( ucknow university ) ने उचित मान  सम्मान नहीं दिया । आजमगढ़ जिले के मूल निवासी प्रोफेसर लाल जीत अहीर  23 सितंबर 1994 में आर्ट्स कॉलेज ( College of Arts and Crafts Lucknow University,) के मूर्तिकला विभाग में लेक्चरर बने और 30 साल बाद 30 जून 2024 को सीनियर लेक्चरर पद से सेवानिवृत हो गए ।

राज्य ललित अकादमी उत्तर प्रदेश के चेयरमैन रह चुके 

उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर लाल जीत अहीर  के मूर्ति कला के प्रति समर्पण को देखते हुए अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें 2013 में राज्य ललित अकादमी उत्तर प्रदेश का चेयरमैन भी नियुक्त किया था। उनके कार्यकाल में राज्य ललित अकादमी में केवल विभिन्न प्रकार के आयोजन किए गए बल्कि कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास भी किए गए। उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के कलाकारों को अपनी कृतियां प्रदर्शित करने, उन्हें प्रोत्साहित करने और उन्हें कार्य के अनुकूल माहौल प्रदान करने में सबसे आगे रहे।  प्रोफेसर लाल जीत अहीर  बताते हैं कि उनका  जीवन  पूरी तरीके से  कला को समर्पित है और इसके लिए भी जीवन भर कार्य करते रहेंगे।

 

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