- श्री त्रिपाठी ने मांग की है कि अब तक के बकाये अवशेषों के भुगतान करने के लिए मंडल स्तर पर सघन शिविरो के आयोजन किये जाय और निदेशालय की भी टीम शिविर में शामिल हो कर स्थलीय समस्या का निराकरण कराया जाय।
लखनऊ , 13 सितम्बर , campussamachar.com, प्रदेश के अ शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के वर्षों से विद्यालय से लेकर निदेशालय स्तर पर लंबित अवशेषों के भुगतान नही होने पर उ प्र माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट ) ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओंम प्रकाश त्रिपाठी ने इस मामले में शासन एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए उनसे तत्काल हस्तक्षेप करने की माँग की है।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि संगठन के लगातार दबाव पर शासन ने अवशेषों के भुगतान प्रक्रिया में बदलाव कर बिलों को पारित कर अनुमन्यता जारी करने के अधिकार दो लाख रुपये तक DIOS को, चार लाख रुपये तक JD को आठ लाख रुपये तक AD व DE को और इससे अधिक शासन को प्रदान किया गया है। इतने से मामला हल होंने वाला नही है . अनुमन्यता के बाद धन आवंटन निदेशालय द्वारा किया जाता है। जब तक दोनों अधिकार निर्धारित सीमा की धनराशि स्वीकृत करने वाले अधिकारियों को नही मिलेगा, भुगतान संभव ही नहीं है। धीरे धीरे प्रति वर्ष यह बढ़ते बढ़ते लगभग एक अरब रू तक पहुँच गया है , जो विभिन्न स्तरों पर लबित है।
शिक्षक नेता श्री त्रिपाठी ने बताया कि पहले तीन साल के बकाये अवशेषों का भुगतान प्री आडिट मे निदेशालय भेजे जाने की व्यवस्था थी, जिसे अब एक वर्ष कर दिया गया है। सही समय पर आदेश जारी न होने के कारण निदेशालय स्तर पर अवशेषों का अंबार लगता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बडी विसंगति पैदा कर दिया गया है । उन्होंने अवशेषों के भुगतान प्रक्रिया में व्यवहारिक रूप प्रदान करने के लिए सर्व प्रथम तीन साल तक के भुगतान पूर्व की तरह DIOS स्तर पर किये जाने की व्यवस्था लागू किया जा य। इसके अलावा निर्धारित धन राशि का भुगतान हेतु सक्षम अधिकारियों को अनुमान्य ता के साथ धन आवंटन भी करके भुगतान किया जाये।
श्री त्रिपाठी ने अब तक के बकाये अवशेषों के भुगतान करने के लिए मंडल स्तर पर सघन शिविरो के आयोजन किये जाय और निदेशालय की भी टीम शिविर में शामिल हो कर स्थलीय समस्या का निराकरण कराया जाय। उन्होंने इसे एक अभिया न के रूप में चला कर अब तक के लंबित बकाये का भुगतान कराये जाने की नितांत जरूरत है। ऐसा करने से भृष्टा चार पर अंकुश लगेगा और शिक्षक को उसके लंबित अवशेषों का भी वास्तविक भुगतान हो सकेगा।