रायपुर. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने वाले स्कूलों का एक करोड़ से अधिक रुपया पर बकाया है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हो रहा है। सरकारी सिस्टम से परेशान छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूल २५ अक्टूबर सोमवार को को बंद रहेंगे। स्कूलों को बंद कर स्कूलों के संचालक और स्टाफ रायपुर में धरना-प्रदर्शन कर अपना विरोध जताएंगे लेकिन प्रदेश के कई निजी स्कूलों ने इस हड़ताल से खुद को दूर रखा है, ऐसे में पालकों में भ्रम की स्थिति है कि वे बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं
छत्तीसगढ़ में कई निजी समूह के बड़ी संख्यों में स्कूल संचालित हंै। ये स्कूल भिलाई,रायपुर, बिलासपुर से लेकर कई जिलों में संचालित हैं लेकिन इनमें से कई स्कूलों के संचालकों ने हड़ताल पर अपना रुख साफ नहीं किया है। हालांकि हड़ताल में उठाया गया मुद्दा उनसे भी जुड़ा हुआ है और वे स्वयं प्रभावित भी है लेकिन अभी तक खुलकर एसोसिएशन के फैसले के साथ नहीं आए हैं। ऐसे में पालकों की समझ में नहीं आ रहा है कि क्या सभी स्कूल में हड़ताल रहेगी या सिर्फ कुछ स्कूलों में और शेष में पढ़ाई होगी। पालकों की समस्या यह है कि अब मुद्दे पर किससे संपर्क करें? रविवार होने के कारण स्कूल बंद हैं और शिक्षकों की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है। कुछ स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अन्य दिनों की तरह सोमवार को भी स्कूल बुलाया गया है।
उधर कई मुद्दों को सोमवार को स्कूलों में हड़ताल का निर्णय लेने वाली स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने मांगों के संबंध में बताया कि सरकार लगातार मांगों को नजरअंदाज करती आ रही है जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लगातार संपर्क करके उन्हें इन मांगों से अवगत कराया जा चुका है। इनकी मुख्य मांगों में आरटीई में पढऩे वाले बच्चों की पढ़ाई का शुल्क का तत्काल भुगतान कराना और स्कूलों की मान्यता की लंबित प्रक्रिया को तत्काल पूरा करना और स्कूलों की बसों का रोड टैक्स माफ करना शामिल है। एसोसिएशन का कहना है कि कोरोना काल में जब बसें नहीं चली तो सरकार को इनका रोड टैक्स माफ करना चाहिए। कुल मिलाकर सोमवार को २५ अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के लगभग ७ हजार स्कूल बंद रहेंगे और इसमें पढऩे वाले लगभग १६ लाख बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।