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National Education Policy 2020 : बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में तकनीकी शिक्षा में भारतीय ज्ञान परम्परा पर कार्यशाला आयोजित , विशेषज्ञों ने गिनाई खूबियाँ

  • देश की उच्च शिक्षा भारतीय ज्ञान, समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत की संवाहक : प्रो. अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, संस्कृति उत्थान न्यास
  • भारत की गौरवपूर्ण संस्कृति को भावी पीढ़ी के लिए पोषित और संरक्षित किया जाना आवश्यक : प्रो.अम्बरीष शरण विद्यार्थी, कुलपति
  •  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020   के अनुसार 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होगा जो  किसी से पीछे नहीं है-  प्रो. विजय कर्ण 

बीकानेर, 28  अप्रेल,campussamachar.com, । राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( National Education Policy 2020) के तकनीकी शिक्षा में प्रभावी क्रियान्वयन हेतु भारतीय ज्ञान एवं दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर एवं संस्कृति आधारित नवीन पाठ्यक्रम को लागू करने की पहल करते हुए बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय ( Bikaner Technical University ) द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि बीकानेर तकनीकी विश्ववि‌द्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ( National Education Policy 2020)  की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने वि‌द्यार्थियों को भारतीय ज्ञान दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर, संवैधानिक और वैश्विक मूल्य आधारित सृजनशीलता पर पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर वि‌द्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस कार्यशाला में संबद्ध महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों, शिक्षकों विद्यार्थियों एवं विभिन्न उच्च शैक्षिक संस्थानों, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े हितधारको ने सहभागिता निभाई।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रख्यात शिक्षाविद प्रो.अतुल कोठारी थे।

कार्यशाला संयोजक एवं डीन फैकल्टी अफेयर्स डा. धर्मेन्द्र यादव ने भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला और कहा की बीटीयू द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भारतीय ज्ञान दर्शन एवं सांस्कृतिक परंपरा के साथ जोड़ते हुए विद्यार्थियों को पुनः भारतीय संस्कृति की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए नवीन पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है।जिससे हमारे प्रदेश के असंख्य युवा लाभान्वित होंगे। कार्यशाला में सम्बद्ध महाविद्यालयों के निदेशक/प्राचार्य, विद्यार्थी, शिक्षाविद एवं आमंत्रित अतिथिगण उपस्थित थे। डीन अकादमिक अमित माथुर ने सभी का धन्यवाद स्थापित किया।

मुख्य अतिथि प्रो. अतुल कोठारी ने अपने उदबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति( National Education Policy 2020)  का लक्ष्य प्रत्येक विद्यार्थी को ज्ञान केन्द्रित भारतीय मूल्यों से विकसित गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा उपलब्ध कराना है। यह भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाकर एक जीवंत और न्याय संगत समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से सहयोग करेगी। इस नीति में परिकल्पित है कि हमारे संस्थानों की पाठ्यचर्या और शिक्षा विधि छात्रों में अपने मौलिक दायित्व और संवैधानिक मूल्यों को देश के साथ जुड़ाव और बदलते विश्व में नागरिक की भूमिका और उत्तरदायित्व की जागरूकता उत्पन्न करेगी। यह नीति भारतीय ज्ञान परम्पराओं का सम्पोषित विकास कर सम्बल प्रदान करते हुए भारत केन्द्रित तथा समाज पोषित होकर भारत को परम वैभव राष्ट्र तथा जगतगुरु बनाने में महती भूमिका का निर्वहन करेगी। प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ( National Education Policy 2020)  तैयार की गई है। इसका आधार स्तंभों में भारतीय ज्ञान परंपरा को भी केंद्रीय स्तंभ माना गया है। इस दिशा में नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने के लिए भारत सरकार ने नवोन्वेष पहल की है। इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित ऐसे संप्रत्ययों को जोड़ा जा रहा है जिनसे निश्चित रूप से नई युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान का गौरव बोध अवश्य होगा।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो.अंबरीश शरण विद्यार्थी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की एक समृद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही है और हमारी संस्कृति का गौरव पूरे विश्व में आज भी प्रासंगिक है। इस दिशा में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनेक अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। भारत में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 ( National Education Policy 2020)  ने प्राचीन और शाश्वत् भारतीय ज्ञान की समृद्ध विरासत को इसके निर्माण में मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में वर्णित किया गया है। यह शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली की चारित्रिक विशेषता पर ध्यान केंद्रित करती है। एनईपी ( National Education Policy 2020)  भारतीय ज्ञान परंपरा के अर्थ की विस्तृत व्याख्या करती है जिसमे प्राचीन भारत के ज्ञान का आधुनिक भारत में इसके योगदान और इसकी सफलताओं, चुनौतियों और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि के संबंध में भविष्य के भारत की आकांक्षाओं की स्पष्ट समझ शामिल है।

Bikaner Technical University News : प्राचीन शिक्षा दीक्षा परम्पराओं की इन समृद्ध विरासतों को न केवल भावी पीढ़ी के लिए पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली के जरिए इन्हें बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हमारी प्राचीनतम भारतीय ज्ञान विरासत परंपरा एवं शिक्षण पद्धतियों के सनातन मूल्यों को आधुनिक शैक्षिक पद्धति और व्यवस्था में अभी सिंचित करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है।

विशिष्ठ अतिथि प्रो. विजय कर्ण, नव नालंदा महाविहार, नालंदा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ( National Education Policy 2020)  के अनुसार 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होगा जो कि किसी से पीछे नहीं है। ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां किसी भी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से संबिंधत शिक्षार्थियों को समान रूप से सर्वोच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है तथा भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए, 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

डॉ.संदीप गोयल,दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय ने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा अपने उद्देश्यों एवं व्यावहारिकता के कारण संसार में अनूठी थी। भारत के पास बौद्धिक अनुसंधान एवं मूल ग्रंथों के धरोहर की एक अत्यंत समृद्ध परंपरा रही है जो कि सदियों पुरानी है। भारतीय ज्ञान परंपरा अद्वितीय ज्ञान और प्रज्ञा का प्रतीक है जिसमें ज्ञान और विज्ञान, लौकिक और पारलौकिक, कर्म और धर्म तथा भोग और त्याग का अद्भुत समन्वय है। भारत में ज्ञान की सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें दर्शन, गणित, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में योगदान शामिल है। आज हम जिन परंपराओं,प्रथाओं, विश्वासों और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, वे सभी हजारों साल से चली आ रही हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा’ पर ही आधारित हैं।

 

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