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श्रमिक संगठनों का ऐलान : वेतन और सुविधाओं को लेकर 16 फरवरी को चीनी मिलों के गेट पर धरना प्रदर्शन करेंगे चीनी मिल श्रमिक

  •  चीनी मिल मजदूरों ने निर्णय लिया है कि अपनी मांगों के समर्थन में 16 फरवरी को प्रदर्शन, गेट  मीटिंग   करके मुख्यमंत्री  ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath )  को संबोधित ज्ञापन पर सभी का हस्ताक्षर करके सेवायोजक पर स्थानीय प्रशासक के माध्यम से प्रतिवेदन दिया जाएगा।

लखनऊ , 8 फरवरी । campussamachar.com, विभिन्न श्रमिक संगठनों के आह्वान  पर उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग के कर्मचारी 16 फरवरी 2024 को प्रदेश बाहर में कारखाना गेटों  पर धरना प्रदर्शन करने जा रहे हैं ।  इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रमुख मजदूर संगठन संपर्क कर रहे हैं ।

इस आंदोलन में  भारतीय मजदूर संघ (BMS),  हिंद मजदूर सभा (HMS), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC ),  ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC ) , नेशनल फ्रंट ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (NIFTU ) और सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU)  उत्तर प्रदेश शामिल हैं । इनकी मुख्य मांगे हैं – उत्तर प्रदेश चीनी मिल मजदूरों के वेतन पुनरीक्षण के लिए समिति का गठन  हाई कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में किया जाए , राजाज्ञा  संख्या 1305/36 -2 -2002 /8- 2004 TC  दिनांक 29 जून 2022 को कारखाने में कार्यरत सभी मजदूरों पर सख्ती से लागू किया जाए,  शुगर उद्योगों में स्टैंडिंग आर्डर (सेवा शर्त नियमावली ) का पालन किया जाए,  मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिता को वापस लिया जाए और गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान किया जाए आदि ।

CITU के प्रांतीय महामंत्री प्रेम नाथ राय ने बताया सभी चीनी मिल मजदूरों से अपील की जा रही है कि वे 16 फरवरी 2024 को अपने-अपने कारखाने के गेट पर धरना प्रदर्शन में भागीदारी करें । कर्मचारी संगठनों की ओर से जारी एक  बयान में कहा गया है कि प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण चीनी उद्योग प्रदेश की आर्थिक विकास की रीढ़ है,  जहां एक चीनी मिल लगता है,  वहां एक कस्बा (नगर)  बन जाता है , चीनी मिल का मजदूर अपनी एकता और संगठन के बल पर आजादी के पहले और बाद में अपना वेतनमान ,  सेवा शर्तें, बोनस,  क्वार्टर आने-जाने का किराया, खटिया मचिया तक ले लेता है,  जिसका परिणाम देश की प्रथम शुगर बेज बोर्ड और द्वितीय वेज बोर्ड है और प्रदेश के हर विभाग से बेहतर वेतनमान व सुविधा पाता था लेकिन आज यह कहने की जरूरत नहीं है कि सबसे खराब हालत में चीनी मिल का कर्मचारी है।

श्रमिक संगठनों के मुताबिक 1989- 90 के बाद से चीनी मिल का राष्ट्रीय स्तर पर वेज बोर्ड बनना बंद हो गया है। हर प्रदेश के चीनी मिल कर्मचारियों का वेतन अलग-अलग पर उनकी सौदेबाजी की ताकत पर तय होता है ।  इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे पीछे है ।  यहां तक कि वर्ष 2008 में कॉपरेटिव व निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन समान था पर आज कोऑपरेटिव के कर्मचारियों को चीनी मिल के श्रमिकों से  10000 रुपये ज्यादा मिल रहा है।   70% कर्मचारी बेज बोर्ड के दायरे से बाहर हैं ।  शुगर उद्योग के लिए बने स्टैंडिंग आर्डर का खुला उल्लंघन हो रहा है । निर्धारित वेतनमान ₹30000 है,  लेकिन ठेकेदार द्वारा सप्लाई कर्मचारी व अन्य पदनाम से काम करने वाले कर्मचारी 8 से ₹10000 रुपए वेतन पर कम करने के लिए अभिशप्त  हैं ।

up news in hindi : कर्मचारी यूनियन की गतिविधियों में सेवायोजक का हस्ताक्षर बढ़ गया है,  वे यूनियन बनने नहीं देते हैं और अगर बन भी गई तो यूनियन के पदाधिकारी को प्रताड़ित किया जाता है।  सरकार द्वारा भी श्रमिक संगठनों की मांग को अनसुना  किया जा रहा है।  मजदूरों के हितों के लिए बने श्रमिक कानून को समाप्त कर कर चार श्रम संहिता बना दिया गया है।  पिछले जितने श्रम कानून है,  उनका पालन नहीं हो रहा है।  देश भर के मजदूर और सरकार के मजदूर विरोधी व किसान विरोधी रवैया कार्यों के खिलाफ 16 फरवरी 2024 कोई सेक्टोरियल हड़ताल औद्योगिक हड़ताल कर धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया है । इसलिए उत्तर प्रदेश चीनी मिल मजदूर संघ ने निर्णय लिया है कि प्रदेश की चीनी मिल के मजदूर अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन, गेट  मीटिंग  कर  मुख्यमंत्री ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath )  को संबोधित ज्ञापन पर सभी का हस्ताक्षर करके सेवायोजक पर स्थानीय प्रशासक के माध्यम से प्रतिवेदन दिया जाएगा।

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