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जीवन का मंत्र : आये हैं तो जाएँगे, राजा रंक फकीर, एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बांधे जंजीर ……

युगाब्द (कलियुग) – ५१२५
पौष – दसवां महीना
कृष्ण – द्वितीय पक्ष
तिथि – एकादशी ( ११ वीं)
वार/दिन- मंगलवार ( ०३ रा वार/दिन )

आये है तो जाएँगे, राजा रंक फकीर ।
एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बांधे जंजीर ।।

जिसने भी इस संसार मे जन्म लिया है, उसको एक दिन जाना ही है ।
इसमें अमीर-गरीब, ज्ञानी-अज्ञानी, राजा-रंक आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
मनुष्य को चेताने के लिए धार्मिक कथन है कि धर्मात्मा सिंहासन पर बैठ कर स्वर्ग और पापी जंजीर में बाॅंध कर नरक ले जाया जायेगा।
वस्तुतः कर्मफल के सिद्धांत के अनुसार इसी जीवन मे सदगति- दुर्गति मिलेगी ।
संसार से विदा होने का हमेशा ध्यान रहने से, हम अपने कर्मों को श्रेष्ठतर बनाने में लगे रहते हैं ।

आज तिथि ५१२५/ १०-०२-११/ ०३ युगाब्द ५१२५/ पौष कृष्ण पक्ष, एकादशी, मंगलवार “सतिल्ला एकादशी” की पावन मंगलबेला में, सत्कर्म के संकल्प के साथ, नित्य की भाँति आपको मेरा “राम-राम”।

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