मर जाऊँ, माँगू नहीं, अपने तन के काज ।
परमारथ के कारने, मोहि न आवे लाज ।।
✍ किसी के सामने अपने लिए हाथ फैलाना बड़ी शर्मनाक स्थिति होती है ।
✍ स्वाभिमानी व्यक्ति कम में गुजारा कर लेगा, परन्तु अपने लिए माँगेगा नहीं ।
✍ महामना मदन मोहन मालवीय जी कहते थे कि किसी से माँगने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूँगा ।
✍ परन्तु लोकहित/जनहित में सबसे सहायता मांगकर, विश्व प्रसिद्ध बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी ।