लखनऊ/प्रयागराज , 4 जनवरी 2024 । campussamachar.com, शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और शिक्षकों – प्रधानाचार्यों की मुखर आवाज रहे पूर्व विधान परिषद सदस्य डाक्टर यज्ञ दत्त शर्मा का आज गुरुवार 4 जनवरी 2024 को दोपहर लखनऊ में निधन हो गया । उनका लखनऊ के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था । डॉक्टर शर्मा 1996 से 2020 तक लगातार शिक्षक विधायक रहे । उनके पुत्र ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि पिताजी नहीं रहे। उनके शव को लेकर वह प्रयागराज देर रात पहुंचेंगे और शुक्रवार को प्रयागराज में अंतिम संस्कार होगा। प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है ।
Uttar Pradesh News in Hindi : डॉ. शर्मा भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक एमएलसी के लिए निर्वाचित हुए। पांचवीं बार वह सपा के डॉ. मान सिंह यादव से पराजित हो गए। डॉ यज्ञ दत्त शर्मा के निधन पर उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के संरक्षक डॉक्टर जेपी मिश्रा , उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं प्रांतीय प्रवक्ता डॉक्टर आरपी मिश्रा, माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ आर के त्रिवेदी , संगठन के लखनऊ के जिला अध्यक्ष अनिल शर्मा, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी , अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष, NMOPS के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु , अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर राजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और कर्मचारी संगठनों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
Teachers Politics : शिक्षक नेताओं ने उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर शर्मा द्वारा शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के हित में किए गए कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें याद किया है । गौरतलब है कि डॉक्टर यज्ञदत्त शर्मा ने विधान परिषद में शिक्षकों और प्रधानाचार्य की हित में लगातार न केवल मुद्दे उठाए अपितु उनका समाधान भी कराया । अपनी स्पष्ट और ईमानदार राजनीति के कारण उत्तर प्रदेश में उनकी अपनी एक अलग पहचान थी और कई बार वे शिक्षकों के हित की लड़ाई में पार्टी लाइन भी भूल जाते थे ।
UP Teachers News : शायद यही कारण है कि वे 1996 से 2020 तक उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के सदस्य रहे। वे अपने अंतिम समय तक उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और शिक्षकों की समस्याएं दूर करने के लिए चिंतित रहे। उनकी कोशिश थी कि शिक्षकों और प्रधानाचार्य की समस्याओं का समाधान हुए बिना शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन की बात करना उचित नहीं होगा। शिक्षकों की समस्याओं को लेकर कई बार वे सड़क पर उतरने में भी परहेज नहीं करते थे और उन्होंने समय-समय पर धरना- प्रदर्शन और आंदोलन से लेकर व्यक्तिगत चर्चा तक में हमेशा आगे रहे।