- प्रेम बल्लभ शुक्ला के द्वारा मादक पदार्थ(नशा )से होने वाले नुकसान उनके रोकथाम एवं बचाव के उपाय के बारे में बताया गया।
- शाला की सभी शिक्षक- शिक्षिकाएं सुनील बंजारे, बसंत पांडेय, श्रीमती सरिता सायशेरा, श्रीमती संध्या चतुर्वेदी, श्रीमती अनीता बंजारे का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बिलासपुर, 2 दिसंबर ।campussamachar.com, जनपद प्राथमिक शाला जलसो में आज़ 02 नवंबर 2023 को विकासखंड बिल्हा ग्रामीण में बस्ताविहीन शनिवार के अन्तर्गत अल्पना (अगहन गुरुवारी चौक) बनाओं प्रतियोगिता का आयोजन प्रधान पाठिका निशा अवस्थी द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का प्रमुख पारंपरिक त्योहारों में से एक अगहन गुरुवारी अभी चल रहा है इसमें जो चौक बनाया जाता है उसमें चावल को भीगा कर उसको पीसकर थोड़ा सा पानी मिलाकर रुई की सहायता से बनाया जाता है। छात्राओं को दो-तीन दिन पहले से सिखाया जा रहा था जिसमें कक्षा तीसरी से पांचवी की बच्चियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। ये छोटी-छोटी बच्चियां अपनी उम्र के हिसाब से सुंदर-सुंदर चौक बनाएं।
Latest Hindi News : इसमें प्रथम स्थान कुमारी ईशिका (कक्षा चौथी), कुमारी सुनैना( कक्षा पांचवी), कुमारी योगिता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। साथी ही आज दिसंबर माह की पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा कार्यक्रम सुरक्षित शनिवार के अंतर्गत प्रेम बल्लभ शुक्ला के द्वारा मादक पदार्थ(नशा )से होने वाले नुकसान उनके रोकथाम एवं बचाव के उपाय के बारे में बताया गया। इसका लक्षण इस प्रकार होता है जैसे बच्चों में अचानक परिवर्तन आने लगता है शांत रहने वाला बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है, पालक एवं शिक्षकों से अभद्र व्यवहार करता है, वजन कम हो जाता है पढ़ाई में एकाग्रता भंग हो जाती है, गलत लोगों की संगत में पड़ जाता है , तो वह नशा का आदी हो जाता है उसके क्रियाकलापों को देखकर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए और इलाज करवाना चाहिए इसकी बचाव के लिए स्कूल की 500 मीटर दूरी पर नशीले पदार्थों का दुकान लगाने की अनुमति नहीं देना चाहिए, पालकों को भी नशा करने से मना करना चाहिए, पालकों और बच्चों से चर्चा कर समझना चाहिए। बच्चों को मांक- ड्रिल एवं रोल प्ले की सहायता से समझाया गया। हमर निपुण शाला के अंतर्गत पांचवा आकलन के लिए मधुसूदन दुबे जी सीएससी गोंदाईया आए हुए थे। शाला की सभी शिक्षक- शिक्षिकाएं सुनील बंजारे, बसंत पांडेय, श्रीमती सरिता सायशेरा, श्रीमती संध्या चतुर्वेदी, श्रीमती अनीता बंजारे का महत्वपूर्ण योगदान रहा।