लखनऊ. लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से Lucknow University से संबंध सभी अनुदानित महाविद्यालयों के प्रबंधकों और प्राचार्य को भेजे गए एक पत्र से हड़कंप मचा हुआ है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ विनोद कुमार सिंह की ओर से यह पत्र 18 सितंबर 2021 को भेजा गया है। हड़कंप मचने की वजह है पत्र में मांगी गई सूचनाएं । जिनमें कहा गया है कि अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों में संचालित स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में कार्यरत शिक्षकों के विनियमितीकरण व व्यवहार आदि के संबंध में सूचनाएं देनी है।
रजिस्ट्रार डॉ. सिंह ने लिखा है पत्र
रजिस्ट्रार डॉ सिंह ने पत्र में आगे लिखा है कि शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश (शिक्षा डिग्री अनुभाग ) प्रयागराज के भेजे गए पत्र का संदर्भ लेते हुए कहा है उच्च शिक्षा विभाग के पत्र के साथ डॉ एसके पाठक का पत्र भी संलग्न है। डॉ. पाठक के आधार पर ही सूचनाएं मांगी गई हैं गौरतलब है कि Lucknow University. से संबंध महाविद्यालयों की संख्या काफी अधिक है। यह अनुदानित शासकीय महाविद्यालय लखनऊ, रायबरेली, हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर आदि जिलों में स्थित हैं।
निजी महाविद्यालयों में मानकों का पालन न करने की शिकायत
इन्हीं अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अनुमोदित अध्यापकों की मांगों और समस्याओं के बारे में भेजे गए इस पत्र से प्रबंधकों और प्राचार्य में हड़कंप मचा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर वित्तविहीन महाविद्यालयों में विश्पविद्यालय अनुदान आयोग एवं उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा निर्धारित दिशा निर्देश को नियुक्ति के मानकों का सीधा-सीधा उल्लंघन हो रहा है। केवल मान्यता, शासन से एनओसी, विवि से संबद्धता लेते समय ही नियमों व मांगों की खानापूर्ति कर दी जाती है लेकिन संबद्धता प्राप्त होते ही न तो महाविद्यालय प्रबंधन को इसकी चिंता रहती है और ना ही संबद्धता देने वाले Lucknow University के अधिकारियों को।
शिक्षकों को करने पड़ते हैं समझौते
यही कारण है कि इन महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को वेतन के मामले में बहुत समझौते करने पड़ते हैं। सुविधाएं भी नाम मात्र की रहती है। हालांकि यह कटु सत्य है कि विभिन्न महाविद्यालयों में आय के साधन भी कम होते हैं, शायद इसलिए भी शिक्षकों को वेतन देने के मामले में भी मानकों का पालन नहीं कर पाते हैं। अब देखना यह है कि Lucknow University की ओर से मांगी गई सूचनाएं कब तक और किस प्रकार से प्राप्त होती हैं क्योंकि यह सूचना है शासन स्तर तक जानी है और प्रबंधकों की परेशानी यह है कि पूर्व में दी जा चुकी सूचनाओं और अब भेजी जाने वाली सूचनाओं में अगर अंतर हुआ तो दस्तावेज ही आगे मुश्किलें खड़ी करेगा।