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UP Education news : BHU में कला विमर्श-उत्तर प्रदेश के संदर्भ में विषयक संगोष्ठी…कला के सृजनात्मक, व्यवहारिक पक्षों पर हुई सार्थक चर्चा

दीप प्रज्ज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ करते आचार्य अवधेश मिश्र, डॉ॰ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ व अन्य अतिथि
  • सृजनात्मक, व्यवहारिक एवं भावनात्मक पक्ष आदि के चहुँमुखी विकास में सहायक यह संगोष्ठी छात्र-छात्राओं व कला जिज्ञासुओं के व्यक्तित्व को दृढ़ता प्रदान करने के उद्देश्य से बहुत ही लाभप्रद रही।

वाराणसी, 9 मई। campussamachar.com, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के चित्रकला विभाग द्वारा व्याख्यान कक्ष-1, दृश्य कला संकाय में एक दिवसीय संगोष्ठी कार्यक्रम ‘कला विमर्श (उत्तर प्रदेश के संदर्भ में) आयोजित किया गया, जिसका संयोजन डॉ॰ उत्तमा, चित्रकला विभागाध्यक्ष के द्वारा किया गया।

BHU news : संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संकाय प्रमुख प्रोफेसर दीप्ती प्रकाश मोहन्ती तथा वरिष्ठ आचार्य तथा प्रसिद्ध चित्रकार  एस॰ प्रणाम के॰ सिंह उपस्थित रहे। BHU news : संपूर्ण कार्यक्रम तीन चरणों में संयोजित था। कार्यक्रम में आमंत्रित तीन मुख्य विद्वानों द्वारा उत्तर प्रदेश की कला के संदर्भ में व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।

प्रथम चरण में आचार्य अवधेश मिश्र, डॉ॰ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रमुख दृश्य चित्रकारों को कालक्रमानुसार रेखांकित कर उनकी चित्रकृतियों के तकनीकी एवं सौन्दर्य पक्ष की विस्तृत व्याख्या की। साथ ही साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश के कला परिदृश्य में समकालीन कला के प्रवेश और विकास का विवरण भी प्रस्तुत किया।

द्वितीय चरण में कला इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रदोष मिश्रा द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान में ब्रिटिश चित्रकारों से लेकर वर्तमान चित्रकारों तक विभिन्न चित्रकारों और उनकी चित्रकृतियों की विस्तृत व्याख्या के साथ चित्रों का क्रमिक विकास प्रस्तुत किया। तृतीय चरण में अभिनव गुप्त अकादमी के अध्यक्ष डॉ॰ गौतम चटर्जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि किसी भी कलाकार को वैश्विक पटल पर, पश्चिमी तथा पूर्वी कलाओं तथा परिस्थितियों का अध्ययन, अनुभव तथा विश्लेषण करके, स्वयं की सृजनात्मक क्षमता का प्रयोग करके चित्र सर्जना करनी चाहिए, यही कला का मूल मर्म व धर्म है।

BHU news in hindi : उन्होंने कलाकार की कृतियों को चित्रित करने तथा कलाकार की मनः स्थिति चेतन, अवचेतन व अचेतन से परिचित कराया एवं अतियथार्थवाद और कबीर-दर्शन का समन्वय प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी कहा कि बनारस को नये नजरिये से देखने की आवश्यकता है। उनके विचार से कला जगत से जुडे सभी जिज्ञासुओं को चित्रसूत्र का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।

UP Education news :कार्यक्रम का सुव्यस्थित संचालन विभाग के शिक्षक डॉ॰ सुरेश चन्द्र जांगिड ने किया।  धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ॰ उत्तमा द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में आयोजन समिति के सदस्य  सुरेश के॰ नायर,  ललित मोहन सोनी,  विजय भगत एवं डॉ॰ महेश सिंह कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे। संकाय के समस्त शोधार्थी, सभी कक्षाओं के छात्र व छात्राओं के साथ अन्य कलाप्रेमी भी अधिक संख्या मेें मौजूद रहे। सृजनात्मक, व्यावहारिक एवं भावनात्मक पक्ष आदि के चहुँमुखी विकास में सहायक यह संगोष्ठी छात्र-छात्राओं व कला जिज्ञासुओं के व्यक्तित्व को दृढ़ता प्रदान करने के उद्देश्य से बहुत ही लाभप्रद रही।

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