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Shardiya Navratri 2024 : सनातन धर्म के पुराणों के अनुसार 51शक्ति पीठों का इतिहास एवं कथा, जरुर जानिये …

  • 51शक्ति पीठों का इतिहास एवं कथा 

🚩 सनातन धर्म के पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ देवी सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आया।
ये शक्ति पीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं।

देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। हालाँकि देवी भागवत में जहाँ 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में केवल 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है।

इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं।

वर्तमान में भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्ति पीठ हैं।

कैसे बने शक्तिपीठ (कथा) :
माता के इन 51 शक्तिपीठों के बनने के सन्दर्भ में जो कथा है, वह यह है कि राजा प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में माता जगदम्बिका ने सती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव से विवाह किया।

एक बार मुनियों का एक समूह यज्ञ करवा रहा था। यज्ञ में सभी देवताओं को बुलाया गया था। जब राजा दक्ष आए तो सभी लोग खड़े हो गए लेकिन भगवान शिव खड़े नहीं हुए। भगवान शिव दक्ष के दामाद थे। यह देख कर राजा दक्ष बेहद क्रोधित हुए। दक्ष अपने दामाद शिव को हमेशा निरादर भाव से देखते थे।
सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व / ब्रिहासनी’ नामक यज्ञ का आयोजन किया था। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता और सती के पति भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए निमन्त्रण नहीं भेजा था। जिससे भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए।

नारद जी से सती को पता चला कि उनके पिता के यहाँ यज्ञ हो रहा है लेकिन उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है। इसे जानकर वे क्रोधित हो उठीं।

नारद ने उन्हें सलाह दी कि पिता के यहाँ जाने के लिए बुलावे की ज़रूरत नहीं होती है। जब सती अपने पिता के घर जाने लगीं तब भगवान शिव ने मना कर दिया। लेकिन सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी जिद्द कर यज्ञ में शामिल होने चली गई।

यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया।  इस पर दक्ष भगवान शंकर के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें करने लगे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती को यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ और वहीं यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।  भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया।  सर्वत्र प्रलय-सा हाहाकार मच गया।

भगवान शंकर के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया और अन्य देवताओं को शिव निंदा सुनने की भी सज़ा दी और उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये।  तब भगवान शिव ने सती के वियोग में यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए सम्पूर्ण भूमण्डल पर भ्रमण करने लगे।  भगवती सती ने अन्तरिक्ष में शिव को दर्शन दिया और उनसे कहा कि जिस-जिस स्थान पर उनके शरीर के खण्ड विभक्त होकर गिरेंगे, वहाँ महाशक्तिपीठ का उदय होगा।

सती का शव लेकर शिव पृथ्वी पर विचरण करते हुए तांडव नृत्य भी करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देखकर और देवों के अनुनय-विनय पर भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खण्ड-खण्ड कर धरती पर गिराते गए।  जब-जब शिव नृत्य मुद्रा में पैर पटकते, विष्णु अपने चक्र से शरीर का कोई अंग काटकर उसके टुकड़े पृथ्वी पर गिरा देते। ‘तंत्र-चूड़ामणि’ के अनुसार इस प्रकार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आया।

इस तरह कुल 51 स्थानों में माता की शक्तिपीठों का निर्माण हुआ।

🚩1. किरीट कात्यायनी शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहाँ सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था।
यहाँ की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।

🚩2. कात्यायनी शक्तिपीठ –
वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहाँ सती का केशपाश गिरा था। यहाँ की शक्ति देवी कात्यायनी हैं।

🚩3. करवीर शक्तिपीठ –
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहाँ की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं।
यहाँ महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।

🚩4. श्री पर्वत शक्तिपीठ –
इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहाँ माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरी थी।
यहाँ की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।

🚩5. विशालाक्षी शक्तिपीठ –
उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहाँ माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे।
यहाँ की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।

🚩6. गोदावरी तट शक्तिपीठ –
आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहाँ की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।

🚩7. शुचीन्द्रम शक्तिपीठ –
तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ, जहाँ सती के ऊपर के दन्त (मतान्तर से पृष्ठ भाग) गिरे थे। यहाँ की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।

🚩8. पंच सागर शक्तिपीठ –
इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहाँ माता का नीचे के दन्त गिरे थे। यहाँ की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।

🚩9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ –
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ सती का जिह्वा गिरी थी। यहाँ की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।

🚩10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ –
इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहाँ माता का ऊपर का ओष्ठ गिरा है। यहाँ की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।

🚩11. अट्टहास शक्तिपीठ –
अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहाँ माता का नीचे का होंठ गिरा था। यहाँ की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।

🚩12. जनस्थान शक्तिपीठ –
महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है जनस्थान शक्तिपीठ जहाँ माता का ठुड्डी गिरी थी। यहाँ की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।

🚩13. कश्मीर शक्तिपीठ –
जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह शक्तिपीठ जहाँ माता का कण्ठ गिरा था। यहाँ की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं।

🚩14. नन्दीपुर शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है यह पीठ, जहाँ देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहाँ की शक्ति निन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।

🚩15. श्री शैल शक्तिपीठ –
आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है श्री शैल का शक्तिपीठ, जहाँ माता का ग्रिवा गिरी थी। यहाँ की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथव ईश्वरानन्द हैं।

🚩16. नलहरी शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है नलहरी शक्तिपीठ, जहाँ माता का उदरनली गिरी थी। यहाँ की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।.

🚩17. मिथिला शक्तिपीठ –
इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मतांतर है तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहाँ माता का वाम स्कंध गिरा था। यहाँ की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं।

🚩18. रत्नावली शक्तिपीठ –
इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, बंगाज पंजिका के अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है रत्नावली शक्तिपीठ जहाँ माता का दक्षिण स्कंध गिरा था। यहाँ की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।

🚩19. अम्बाजी शक्तिपीठ, प्रभास पीठ –
गुजरात गूना गढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथत शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है, जहाँ माता का उदर गिरा था। यहाँ की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है।
ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उध्र्वोष्ठ गिरा था, जहाँ की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।

🚩20. जालंध्र शक्तिपीठ –
पंजाब के जालंध्र में स्थित है माता का जालंध्र शक्तिपीठ जहाँ माता का वामस्तन गिरा था। यहाँ की शक्ति त्रिापुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।.

🚩21. रामागरि शक्तिपीठ –
इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्राकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहाँ माता का दाहिना स्तन गिरा था।
यहाँ की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।

🚩22. वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ –
झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर स्थित है वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ, जहाँ माता का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है।
एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।

🚩23. वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ –
माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैिन्थया में स्थित है जहाँ माता का मन गिरा था। यहाँ की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।

🚩24. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ –
तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहाँ माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहाँ की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।

🚩25. बहुला शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ, जहाँ माता का वाम बाहु गिरा था। यहाँ की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।

🚩26. उज्जयिनी शक्तिपीठ –
मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ। जहाँ माता का कुहनी गिरी थी। यहाँ की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।

🚩27. मणिवेदिका शक्तिपीठ –
राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है यहीं माता की कलाइयाँ गिरी थीं। यहाँ की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।

🚩28. प्रयाग शक्तिपीठ –
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहाँ माता की हाथ की अंगुलियाँ गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद इसे यहाँ अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता हैं।

🚩29. विरजाक्षेत्रा, उत्कलउत्कल शक्तिपीठ –
उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है जहाँ माता की नाभि गिरी थी। यहाँ की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।

🚩30. कांची शक्तिपीठ –
तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ, जहाँ माता का कंकाल गिरा था। यहाँ की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।

🚩31. कालमाध्व शक्तिपीठ –
इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है। परन्तु, यहाँ माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहाँ की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।

🚩32. शोण शक्तिपीठ –
मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर शोण शक्तिपीठ है। यहाँ माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहाँ सती का दायाँ नेत्र गिरा था ऐसा माना जाता है। यहाँ की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।

🚩33. कामरूप कामाख्या शक्तिपीठ –
कामगिरि असम गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का योनि गिरी थी। यहाँ की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानन्द हैं।

🚩34. जयन्ती शक्तिपीठ –
जयन्ती शक्तिपीठ मेघालय के जयन्तिया पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ माता का वाम जंघा गिरी थी। यहाँ की शक्ति जयन्ती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं।

🚩35. मगध् शक्तिपीठ –
बिहार की राजधनी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है जहाँ माता का दाहिनी जंघा गिरी थी। यहाँ की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं।

🚩36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गाँव में तीस्ता नदी पर स्थित है त्रिस्तोता शक्तिपीठ, जहाँ माता का वाम पाद गिरा था। यहाँ की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर हैं।

🚩37. त्रिपुरी सुन्दरी शक्तित्रिपुरी पीठ –
त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में स्थित है त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ, जहाँ माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहाँ की शक्ति त्रिापुर सुन्दरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं।

🚩38. विभाष शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्रााम में स्थित है विभाष शक्तिपीठ, जहाँ माता का वाम टखना गिरा था। यहाँ की शक्ति कापालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानन्द हैं।

🚩39. देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र (शक्तिपीठ) –
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ, जिसे श्रीदेवीकूप (भद्रकाली पीठ के नाम से मान्य है। माता का दहिने चरण (गुल्पफ) गिरे थे। यहाँ की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं।

🚩40. युगाद्या शक्तिपीठ (क्षीरग्राम शक्तिपीठ) –
पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है युगाद्या शक्तिपीठ, यहाँ सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।

🚩41. विराट का अम्बिका शक्तिपीठ –
राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहाँ सती के ‘दायें पाँव की उँगलियाँ’ गिरी थीं।। यहाँ की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं।

🚩42. काली शक्तिपीठ –
पश्चिम बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध यह शक्तिपीठ, जहाँ माता के दाएं पाँव की अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियाँ गिरी थीं। यहाँ की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।

🚩43. मानस शक्तिपीठ –
तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहाँ माता का दाहिना हथेली का निपात हुआ था। यहाँ की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं।

🚩44. लंका शक्तिपीठ –
श्रीलंका में स्थित है लंका शक्तिपीठ, जहाँ माता का नूपुर गिरा था। यहाँ की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। लेकिन, उस स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।

🚩45. गण्डकी शक्तिपीठ –
नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ, जहाँ सती के दक्षिणगण्ड (कपोल) गिरा था। यहाँ शक्ति `गण्डकी´ तथा भैरव `चक्रपाणि´हैं।

🚩46. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ –
नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है, जहाँ माता सती के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। यहाँ की शक्ति `महामाया´ और भैरव `कपाल´ हैं।

🚩47. हिंगलाज शक्तिपीठ –
पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रान्त में स्थित है माता हिंगलाज शक्तिपीठ, जहां माता का ब्रह्मरन्ध्र गिरा था।

🚩48. सुगंध शक्तिपीठ –
बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ, जहां माता की नासिका गिरी थी। यहां की देवी सुनन्दा है तथा भैरव त्रयम्बक हैं।

🚩49. करतोयाघाट शक्तिपीठ –
बांग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है करतोयाघाट शक्तिपीठ, जहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं।

🚩50. चट्टल शक्तिपीठ –
बांग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ, जहां माता का दाहिना बाहु यानी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भेरव चन्द्रशेखर हैं।

🚩51. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ –
बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का प्रसिद्ध यशोरेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता का बायीं हथेली गिरी थी। यहां शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चन्द्र हैं।

  • प्रस्तुति ललित अग्रवाल 

 

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