- 61 कला कृतियों की एकल प्रदर्शनी शीर्षक “नया क्षितिज” बुधवार को लखनऊ स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में लगाई गई।
लखनऊ, 8 नवंबर । campusa, campussamachar.com, प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी रूप में कला से जुड़ा होता है और इस बारे में उसका अपना स्वयं का परिप्रेक्ष्य होता है, उसका देखने और सोचने का अपना नज़रिया होता है। साथ ही वह अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कला के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करता है। इसके लिए प्रमुख रूप से प्राकृतिक एवं सामाजिक परिवेश बहुत महत्व रखता है। विचार और भावनाएं इन्ही के जरिये उत्पन्न होती हैं। एक रचनाकार बड़ी बारीकी से इनका अवलोकन करता है और उसके हर प्रभाव को, चिंताओं को, विडंबनाओं को प्रस्तुत करता है साथ ही एक जागरूकता भरा संदेश भी देने की कोशिश करता है।
campus news : ऐसे ही एक उत्तर प्रदेश के युवा समकालीन चित्रकार संजय कुमार राज भी हैं जिनके 61 कला कृतियों की एकल प्रदर्शनी शीर्षक “नया क्षितिज” बुधवार को नगर में स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में लगाया गया। जिसका उदघाटन मुख्य अतिथि अरविंद कुमार ( सेवानिवृत्त आईएएस) अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने किया। इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल हैं।
lucknow latest news : क्यूरेटर वंदना सहगल चित्रकार के कृतियों के बारे में बताती हैं कि संजय कुमार के काम में प्रकृति के साथ मनुष्य के संघर्ष की झलक भी है। वह प्रकृति से काफी जुड़े हुए हैं। दुनियाँ में तेजी से बदलता परिदृश्य उनका मुख्य विषय है जिसके इर्द-गिर्द वह अपना सृजन करते हैं। संजय ज्यादातर कागज पर जलरंगों का प्रयोग करते हुए काम करते हैं। वह समसामयिक शैली में अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए नज़र आते हैं। उनके काम में एक नाजुक गुणवत्ता है क्योंकि वह अपने विषयों को अति-यथार्थवादी शैली में चित्रित करते हैं,जिसमें हर विवरण स्पष्ट होता है।वह फ्रेम को लघु रुप से भरने के लिए पैमाने को सिकोड़ते भी है लेकिन साथ ही अपने विचारों को और अधिक सशक्त भी बनाते हैं। उनके विषय अधिकतर एक ‘संदर्भ’ के रूप मे हैं, जो किसी संदर्भ की ओर इशारा करते हैं। लेकिन एक अलग संदेश देते हैं और एक ऐसी कहानी भी बताते हैं जिसमें समकालीन चिंताएँ होती हैं।
latest lucknow art news : इस पहलू को स्पष्ट करने के लिए, उनके ‘ग्रोथ-2’ में पुंकेसर के बजाय स्टील की छड़ें निकलते हुए एक विस्तृत सेमल फूल को दर्शाया गया है। स्टील की सलाखें आपस में उलझी हुई हैं और उनमें से कुछ पर कुछ पक्षी बैठे हुए हैं जो इतने छोटे हैं कि ध्यान देने पर फूल का आकार पहले की तुलना में बदल जाता है। फ़्रेम में पेस्टल रंग का ग्रिड है जो अंदर और बाहर फीका पड़ जाता है। यह सड़क नेटवर्क की ओर इशारा करना शुरू कर देता है जब कोई एक छोटे तिपहिया वाहन को उनमें से एक को पार करते हुए देखता है। तितलियों का एक झुंड ‘paradise lost’ के उनके विषय को पुष्ट करता है और नीचे एक मैनहोल इसकी पूरी तरह से पुष्टि करता है। पूरा फ्रेम और कहानी बिंदीदार रेखाओं से जुड़ी हुई है जो इन अलग-अलग विषयों को ड्राइंग के साथ-साथ गद्य में एक रचनात्मक इशारा करते हुए जोड़ती है। दूसरे फ्रेम में, पेस्टल ग्रिड को बादलों के ग्रिड से बदल दिया गया है, बिंदीदार रेखा को एक पुच्छल मेहराब से बदल दिया गया है जो सभी को एक साथ बांधता है। कभी-कभी फ़्रेम समान बक्सों की एक श्रृंखला से बना होता है।
lucknow news : संजय रचना के भाषाई पहलू में पारंगत हैं। वह जिस वाक्यात्मक संरचना या व्याकरण का उपयोग करते हैं वह कहानी कहने के लिए लगभग एकदम सटीक है, लेकिन उसके विषय (जैसे पक्षी, सुअर, जानवर, पेड़, मील के पत्थर, मैनहोल, ईंट के ढेर, सड़क के किनारे, फल, फूल, घड़े, चिमनी के ढेर… सभी) के रूप में कार्य करते हैं। ‘प्रतीक’ जो… सबसे जटिल तरीके से… सबसे नाजुक भाषा में… सबसे कोमल हैं … सबसे प्रासंगिक संदेश… एक अंधकारमय नई दुनिया का संदेश दर्शाते हैं! उनके फ्रेम की इस अवास्तविक यात्रा के माध्यम से, आपको विचार करने को मजबूर करेगा, आपकी सोच भी बदल जाएगा……
art news lucknow : कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ( bhupendra k. asthana Fine Art Professional ) ने बताया कि संजय कुमार राज उत्तर प्रदेश से हमीरपुर जिले के चंडौत के रहने वाले हैं। इनकी कला की शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ ( College of Arts and Crafts Lucknow University) से हुई है। वर्तमान में लखनऊ मे रहते हुए कला सृजन मे तल्लीन हैं। संजय बताते हैं कि मैं बचपन से ही प्रकृति के बहुत करीब रहा हूं और मैंने इसके सभी तत्वों का अवलोकन किया है। मेरी धारणा और अनुभवों के माध्यम से प्रकृति अपने आप में बहुत रचनात्मक है। यह अपने रूप बदलता रहता है। इसकी असीम कोमलता और गर्माहट गांवों और कस्बों में महसूस की जा सकती है। निर्माण, आधुनिकीकरण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल… प्रदर्शनी में धीरज यादव, उमेश सक्सेना, नवनीत सहगल बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।