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कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया : तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे चीन पर जी-20 देश के नेता बनाएँ दबाव

  • विशेष रूप से उन रिपोर्टों पर ध्‍यान देने की अपील की गई है, जिसमें दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया है और तिब्बत में अनिवार्य आवासीय स्कूल प्रणाली में डाल दिया गया है।

नई दिल्ली, 24 अगस्त । campussamachar.com,  कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) ने चीनी सरकार को तिब्बत सरकार में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए दोषी बताने तथा परम पवन दलाई लामा के प्रधिनिधि के साथ बातचीत दोबारा शुरू करने के लिए जी- 20 के नेताओं पर दबाव डालने के लिए अनुरोध किया है ।

कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) भारत में सभी तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) का सर्वोच्च संगठन है। इसका कार्य तिब्बती मुद्दे के समर्थन के लिए समन्वय, निर्देशन, योजना और गतिविधियों को संचालित करना है।  सीजीटीसी-आई ने जी-20  नेताओं से चीनी सरकार द्वारा तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन पर तत्‍काल ध्यान देने की अपील की है। विशेष रूप से उन रिपोर्टों पर ध्‍यान देने की अपील की गई है जिसमें दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया है और तिब्बत में अनिवार्य आवासीय स्कूल प्रणाली में डाल दिया गया है। इस स्‍कूल नीति का उद्देश्य तिब्बत की सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई रूप को नष्ट करना है। ये आवासीय स्‍कूल चीनी कम्युनिस्ट विचारधाराओं और उनके द्वारा गढ़ी जा रही कहानियों के साथ राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था, जो अभी चीन के अनिधिकृत और बलात कब्ज़े मे है।

तिब्बत अपने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत की तरह ही लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है और चीनी सरकार द्वारा गंभीर मानवाधिकारों के हनन, सांस्कृतिक दमन और धार्मिक भेदभाव की रिपोर्टों के साथ यह एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। तिब्बतन का वर्तमान चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है, जिस पर तत्काल विश्व के देशो को ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज – इंडिया (सीजीटीसी-आई) का मानना है कि दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 नेताओं को इन गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने और समाधान करने की नैतिक जिम्मेदारी है।

सीजीटीसी-आई के पदाधिकारी और भारत तिब्बत संवाद मंच के अध्यक्ष डाक्टर संजय शुक्ला के अनुसार अपने अधिकारों और पहचान के लिए तिब्बती लोगों के संघर्ष को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में नागरिकों को गायब कर देने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने और सांस्कृतिक रूप से अपना वर्चस्व कायम करने की घटनाए बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। सीजीटीसी-आई जी-20 नेताओं से इन अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होने और सभी के लिए मानवाधिकार और सम्मान के सिद्धांतों को बनाए रखने का मांग करता है।

ऐसे समय में, जब जी-20 देशों के नेता 09 से 10 सितंबर को नई दिल्ली में आगामी शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित हो रहे हैं, सीजीटीसी-आई उनसे निम्नलिखित मांगों को प्राथमिकता देने का आग्रह करता है।


कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया (सीजीटीसी-आई) मांग करता है:
1. मानवाधिकार उल्लंघन की तत्काल जवाबदेही :
जी-20 के नेताओं को तिब्बत में घोर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जी-20 के सदस्य चीन को उत्तरदायी ठहराया जाए, जिसमें अनिवार्य आवासीय स्कूलों के माध्यम से तिब्बती बच्चों को निशाना बनाया जाना भी शामिल हो।
मानवाधिकारों के हनन की रिपोर्टों में पारदर्शिता और स्वतंत्र जांच की मांग की जाए।
विश्व के राजनयिकों, मीडिया, बुद्विजीवियों और आमजनता को तिब्बत में प्रवेश की अनुमति हो।

2. . परम पावन 14वें दलाई लामा का पुनर्जन्म
इसकी घोषणा की जाए कि परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म के संबंध में निर्णयों पर अंतिम अधिकार निर्विवाद रूप से और पूरी तरह से स्वयं परम पावन दलाई लामा और संबंधित अधिकारियों के पास है।
जी- 20  के नेतागण यह ऐलान करें कि कोई भी राष्ट्र, सरकार, जिसमें चीनी सरकार, संस्था या कोई भी व्यक्ति शामिल है, परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार नहीं है।

3. तिब्बती बच्चों के अधिकारों का संरक्षण:
अनिवार्य आवासीय स्कूलों के माध्यम से जबरन नस्लीय तौर पर विलय कर लिये गए दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों के अधिकारों के गंभीर उल्लंघन की कड़ी निंदा करे।
जी-20 सम्‍मेलन की ओर से चीनी सरकार से उन सभी नीतियों को तुरंत बंद करने का आग्रह किया जाए, जो तिब्बती बच्चों के अद्वितीय सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान को बनाए रखने के अधिकार का उल्लंघन करती हैं। तिब्बत में चीनी अधिकारियों द्वारा लागू की गई आवासीय विद्यालय प्रणाली ने तिब्बत में तिब्बती बच्चों को अकथनीय पीड़ा और अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

4. परम पावन 14 वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की बहाली:
जी-20 नेताओं से मांग है की चीन की सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाये की तिब्बत की समस्या के अंतिम समाधान के लिए परम पवन दलाई लामा के प्रधिनिधि से पुन संवाद शुरू कर तिब्बत का शांतिपूर्ण, रचनात्मक और परस्परिक स्वीकार्य समाधान का मार्ग प्रशस्त्र करे।
5. जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में तिब्बत को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में शामिल किया जाए।
जी-20 नेताओं से मांग करते है कि तिब्बत को अतिमहत्वपूर्ण एजेंडा के रूप मे सम्मेलन के विचारथ शामिल किया जाये। सबों के लिए मानवाधिकार, उत्पीड़ित समुदाय, सांस्कृतिक संरक्षण और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकते है।
6. कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – भारत मांग करता है की तिब्बत समास्या की शिखर सम्मेलन का केंद्रीय विषय और महत्वपूर्ण बिन्दू के रूप मे विचार के लिए सम्मलित किया जाये।
7. कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – भारत: मांग करता है कि तिब्बत की समस्या की अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए विचार करे ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तिब्बत मे न्याय, मानवाधिकार और स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त हो सके।

 

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